जोश ने अपने चचेरे भाइयों के पीछे-पीछे धूल भरी सड़क पर स्कूल की ओर दौड़ना शुरू
किया. वो पहली बार इंग्लैंड से उनसे मिलने आया था. लेकिन जोश को यहाँ पर देखने और
करने के लिए बहुत कुछ था. वो चेन्नई के पास मछली पकड़ने वाले गाँव में जाकर बहुत कुछ खोजना चाहता था. वो वहां जाने के लिए बेचैन था. "वाह!" जोश चिल्लाया. उसने सूरज की तरफ देखा. आसमान में एक भी बादल नहीं था और तेज़ धूप थी. तपती धूप के कारण घास पर रुपहली लहरें झिलमिला रही थीं. "बाबा, टोपी पहनकर भी इस चिलचिलाती धूप में तुम बाहर नहीं जाना,” वहां के इंचार्ज कृप्पू ने आते ही जोश को समझाया. "यहाँ की गर्मी कुछ विचित्र है. वो तुम्हारे साथ कुछ मजेदार खेल, खेल सकती है जोश ने घर के दाईं ओर झाऊ के पेड़ों की ओर देखा. उसने कहा, "ठीक है में कहूगा कि में स्थानीय वन्यजीवों को देखने जा रहा हूं, तो फिर मुझे गर्मी से खतरा नहीं होगा." वो नहीं चाहता था कि कृप्पू उसकी कोइ चिंता करे, इसलिए उसने उसके लिए एक नोट छोड़ दिया. जब जोश पेड़ों के एक झुरमुटे के पास पहुंचा तो वहां उसे पर समुद्र की ठंडी हवा महसूस हुई. वहां पर झाऊ के पेड़ अपनी पंखदार शाखों के साथ हवा में त्रहरा रहे थे. सूरज की रोशनी पत्तों से छन-छन कर ज़मीन पर गिर रही थी. वो एक बैलगाड़ी के पहिए को घुमाने लगा. "याहू!" वो चिल्लाया. लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. अचानक उसका ध्यान एक मंदिर पर गया. वहां फूल या दीपक नहीं थे. उसने मंदिर का एक चक्कर लगाया. पीछे की सीढ़ियों पर, उसकी ही उम्र की एक लड़की बैठी थी. "नमस्ते!" उसने दोनों चोटियों के साथ खेलते हुए कहा. उसके बाल चमेली के फूलों ओर चमकीले पीले रिबन से सजे थे. "अरे बाप रे! तुम्हें देखकर मैं सच में डर गया," जोश ने कहा. "मुझे लगा इस वीरान जगह पर कोई भी नहीं होगा." "देखो में उस स्कूल में पढ़ती हूं. जब बीच में छुट्टी होती है, तो मैं जाकर फेरीवाले को बेचने के. लिए नारियल लाती हूं. आज फेरीवाला नहीं आया _ इसलिए मैं यहां पर खेलने चली आई." फिर वो लड़की खड़ी हुई. लम्बी स्कर्ट से उसके पैर ढठंक गए. जब वो जोश की ओर आइ, तब जोश ने उसकी पायल को झनकते हुए सुना. "में जोश हूँ," उसने कहा. फिर उसने अपनी जेबों में अपने हाथ घुसाए और अपने कंधे उचकाए. "मैं अपने चचेरे भाईयों के स्कूल से वापस आने का इंतज़ार कर रहा था. इस बीच, में यहाँ घूमने आ गया." "मैं तुम्हें कुछ खेल सिखाऊंगी," लड़की के कहा. फिर उसने कुछ कौड़ियां निकालीं. उसने आसपास पड़ी चमगादड़ों की बीट और सूखे पत्तों को नारियल के लम्बे पत्ते से साफ़ किया. उसकी चूड़ियाँ झनकने लगीं. उनमें से एक चूड़ी टूट गई. उसके खून के रंग का, कांच का एक टुकड़ा धूप में चमका. फिर लड़की ने धीमी आवाज़ में गुनगुनाना शुरू किया: "तुम एक भूत को कैसे पकड़ोगे?" अपने दाहिने हाथ से उसने निशाने पर मारने के लिए जोश को एक कौड़ी दी. पर वो कौड़ी जमीन पर गिरी और उससे एक गड॒ढा बना. लड़की के नाखून लंबे थे और मेंहदी से सने थे. "भूत को पकड़ो!" वो चिललाइई. जोश ने अपनी कौड़ी गड़ठे की ओर मारी लेकिन वहां पहुँचने से पहले ही लड़की ने उसे अपने हाथ से पकड़ लिया. जोश अब खेल समझ गया और फिर उसने लड़की द्वारा दी गड कोौड़ियों से कई बार निशाना साधा. "तुम हार गए! तुम हार गए!" वो खिलखिलाकर हंसी और उसने जोश को चिठद़ाया. " कौन है वो भूत?" जोश ने पूछा. "अरे वो भूत. वह इतना बेसुरा गाता था कि जब वो मरा तो उसकी आत्मा एक अच्छे पापी के शरीर में प्रवेश करने की प्रतीक्षा में पेड़ों के चारों ओर मंडराती रही. लेकिन कोई भी नहीं आया, .... क्या तुम कोइ खेल जानते हो?" लड़की ने बड़े प्यार से पूछा. " हाँ जानता हूँ, लेकिन उससे पहले मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि हम स्कूल में, खेल के मैदान पर एक-दूसरे का अभिवादन कैसे करते हैं." और यह कहकर जोश ने अपना हाथ बढ़ाया. लड़की ने भी वैसा ही किया. तभी जोश को "बाबा! बाबा!” की आवाज़ सुनाई दी. वो कृप्पू की आवाज़ थी. "मैं वापस आऊंगा," जोश ने कहा और वो आवाज की दिशा में भागा. उसने चारों ओर घूमकर पूछा: " तुम्हारा नाम क्या है? "माला!" उस लड़की ने कहा. जोश दौड़कर कुप्पू के पास गया. उसने कुप्पु को पसीने में तर पाया. "बाबा! मेंने कहा था कि तुम यहां अकेले मत आना." "लेकिन कुप्पू, में ठीक हू. देखो, मैं माला से मिल्रा और उसने मुझे कुछ खेल सिखाए ... ओर थोड़ी तमिल्र भी." अरे!" कुप्पू ने निराशा के साथ कहा. लेकिन, जोश उसे उस टूटे मंदिर के खंडहर की तरफ खींच रहा था. "माला!" वो गायब होती लड़की और उसकी पायल की आवाज की ओर चिल्लाया "यहाँ कोड़ भी माला नहीं है," कुप्पू ने धीरे लेकिन इृढ़ता से कहा. "लेकिन उसने मेरे साथ यहाँ कौड़ियों से खेला!" जोश ने उस स्थान की ओर इशारा किया, जो सूखे पत्तों और चमगादड़ों की बीट से ढंका था. "बाबा, वो एक आत्मा है. कई साल पहले तुम्हारी ही उम्र की एक लड़की थी. वो एक गायिका बनना चाहती थी और शहर जाना चाहती थी. हम सभी ने कहा कि वो उसके लिए अच्छा नहीं होगा. इसलिए, रात के समय वो मुख्य सड़क पर खड़ी रही जिससे उसे शहर जाने के लिए कोई सवारी मिल्रे. तभी एक तेज रफ्तार के ट्रक ने उसे कुचल दिया. तब से वो आत्मा किसी ऐसे व्यक्ति को तलाश रही है जिसके शरीर में वो प्रवेश कर सके और फिर यहां से जा सके." "वो कोड़ और होगा," जोश ने कहा. वो कुप्पू की कहानी सुनकर अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा था. "देखो, वो लड़की लाल चूड़ियां पहने थी. यहाँ, उनमें से एक चूड़ी टूट कर गिरी थी.” जब उन्होंने पत्तियों के बीच खोज की तो वहां उन्हें केवल रक्त के अवशेष ही मिले. "बाबा, दोपहर के समय, मृतकों की आत्माएं खेल खेलने के लिए पेड़ों से नीचे आती हैं और ज़िंदा लोगों को फँसाती हैं. चलो अब चलते हैं," कुप्पू ने जोश से आग्रह किया. जोश कुप्पू का हाथ पकडे था. पर वो उस गर्मी में भी कांप रहा था. अगर उसका हाथ माला के हाथ को छूता तो फिर क्या होता, वो सोच रहा था. समाष्त
Comments
Post a Comment