Skip to main content

पीला और गुलाबी | Pila Or Gulabi In Hindi



एक दिन एक पुराने अखबार पर लकड़ी से बनी दो छोटे-छोटे 
आदमियों की आकृतियाँ धूप में पड़ी थीं. उनमें से एक आदमी 
छोटा, मोटा और गुलाबी था जबकि दूसरा सीधा, पतल्रा और 
पीला था. मौसम गर्म और शांत था, और वे दोनों कुछ सोच रहे थे. 


थोड़ी देर के बाद, पीला उठकर बैठा और उसने गुलाबी रंग वाले "क्या आप जानते हैं कि हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" पीले ने पूछा. 
पर अपनी आंखें केंद्रित कीं. "क्या मैं आपको जानता हूं?" उसने पूछा. "नहीं," गुलाबी ने कहा. "मुझे यह भी याद नहीं कि मैं यहाँ कब 
"मुझे ऐसा नहीं लगता," गुलाबी ने जवाब दिया. और कैसे आया." 
"मुझे भी नहीं," पीले ने चारों ओर देखते हुए कहा. "मुझे समझ में नहीं आ रहा है," उसने कहा, 
वहाँ कुछ दूरी पर मुर्गियां दाना चुगने में व्यस्त थीं और "कि हम दोनों यहां कैसे ' पहुंचे. मुझे यह सब नया 
पास के खेत में कुछ गायें घास चर रही थीं. और अजीब सा लग रहा है. हम कौन हैं?" 


गुलाबी ने पीले को देखा. उसे पीले का रंग, उसका 
सुन्दर सिर, उसका पूरा रंग-रूप, बहुत अच्छा लगा. 
उसने कहा, "हमें ज़रूर किसी ने बनाया होगा." 


"हां, क्यों," पीले ने जोड़ा, "वो हमें यहाँ क्यों इस तरह छोड़ेगा 
-बिना कुछ सफाई दिए. मुझे लगता है कि हम एक दुर्घटना हैं. 
हम किसी भी तरह बस बन गए हैं." 


"किसी ने मुझे इतना जटिल, इतना परिपूर्ण क्यों बनाया 
होगा?” पीले ने पूछा. "और तुम्हें. हमें यह ज़रूर पता होना चाहिए 
कि हमें किसने बनाया, क्योंकि जब हम बने तो हमें वहाँ ज़रूर 
मौजूद थे." 


उसने जो सुना उस पर गुलाबी विश्वास नहीं कर सका. 
वो हँसने लगा, "तुम्हें लगता है कि मैं अपने इन दोनों हाथों को 
इधर-उधर मोड़ सकता हूँ, इस नाक से साँस ले सकता हूँ, पैरों से 
चलन सकता हूँ. लगता है यह सब अकस्मात हुआ होगा!” 


"हंसना बंद करो," पीले ने कहा, "ज़रा रुको और सोचो. 
समय के साथ - एक हजार, लाख, शायद करोड़ों सालों में 
तमाम असामान्य चीजें हो सकती हैं. हम क्यों नहीं?" 


"क्योंकि यह असंभव है! ऐसा कभी नहीं होगा! 
हम भला बस ऐसे कैसे बन सकते हैं? ज़रा मुझे समझाओ?" 
पीला उठा और फिर वो आगे-पीछे चलने लगा. मान लें कि एक पेड़ की शाखा टूटकर सही तरीके से एक 
उसने एक कंकड़ को एक तरफ फेंका. "शायद कुछ इस नुकीली चट्टान पर गिरी हो जिससे उसका एक छोर टूटा हो 
तरह हुआ होगा. एकदम बिल्कुल इस तरह नहीं." और फिर पैर बने हाँ. शायद इस तरह आपके पैर बने हों." 


"फिर सर्दियों का मौसम आया हो और लकड़ी का वो 
टुकड़ा जम गया हो और बर्फ के फटने से आपका मुँह बना 
हो. फिर शायद एक दिन किसी बड़े तूफान ने लकड़ी के उस 
टुकड़े को पथरीली पहाड़ी पर से लुढ़काया हो." 


"फिर छोटी झाड़ियों के साथ टकराकर उसे इस 
तरह का आकार मिल्रा हो. शायद उड़ने वाली हवा के 
रेत ने उसे चिकना बनाया हो." 


"लकड़ी का वह टुकड़ा उस पहाड़ी के तल्न पर करोड़ों सालों 
तक पड़ा रहा होगा, फिर एक दिन उसपर बिजली गिरी हो - 
और उससे हाथ, उंगलियां और पैरों की उंगलियां बनी हों." 

"ठीक है." गुलाबी ने उसे रोकते हुए कहा, "फिर आँखें, कान 
और नथुने कैसे बने होंगे?" 

उसके बाद पीला और अधिक गहराई से सोचने के लिए एक 
पत्थर पर बैठ गया. 

"हो सकता है," गुलाबी ने कहा. उसने अपने हाथ, पीठ के पीछे 
बाँध लिए. "हम कठफोड़वों द्वारा लकड़ी में बनाए इन छेदों में से 
देख कैसे सकते हैं? और उनसे सुन कैसे सकते हैं?" 

"आंखें," उसने कहा, "कीड़ों या कठफोड़वों द्वारा छेद "क्योंकि आँखें और कान उसी काम को करने के लिए ही बने 
करके बन सकती हैं, या फिर बिल्कुल सही आकार के ओलों हैं. तुम उनके साथ भल्रा और क्या करोगे? वहाँ खड़ी गायें अपनी 
के बार-बार गिरने और टकराने से." बड़ी-बड़ी आँखों से देखती हैं. यह चींटी अपनी नन्‍्ही आँखों से 
देखती है. और हम अपनी आँखों से देखते हैं." 

"ठीक है," गुलाबी ने कहा, "चलो ठीक है, बातचीत ज़ारी "शाखा पेड़ से गिरी वो चट्टान से टकराई और फिर पहाड़ी से 
रखने के लिए मैं तुम्हारी बात को ही सही मानता हूँ. क्या तुम लुढ़की, बिजली गिरी, कठफोड़वे ने चोंच मारी आदि आदि." 
मुझे यह बताना चाहोगे कि यह अजीब चीजें केवल एक-दो बार 
ही क्यों हुईं, जिससे केवल हम दोनों ही बने?" 

"क्यों नहीं?" पीले कहा. "यह सब करोड़ों वर्षों में हुआ होगा - 
पांच सेकंड में नहीं. फिर वो चीज दो बार आसानी से हो सकती है. 
करोड़ों साल्र एक बहुत लंबा समय होता है. शा्खें हमेशा टूटती 
रहती हैं, हवाएं हमेशा बहती हैं, बिजली हमेशा ही कड़कती है, 
और ओले भी पड़ते हैं, आदि, आदि." 


"पर तुम और मैं कितने अलग हैं," गुलाबी ने कहा. 
"ऐसा क्यों?" 

"वो मेरी बात को ही साबित करता है!" पीला चिल्ल्ाया. 
"वो सब आकस्मिक था! तुम शायद एक अलग तरह की लकड़ी 
के बने हो. तुम शायद किसी अलग तरह की पहाड़ी से लुढ़के हो, 
पीला इस सवाल पर विचार करने के लिए कुछ देर गोलर-गोल 

ज़ोनएम और फिसलन मरी हो घूमा. "रंग," उसने कहा, "रंग. खैर, मान लो जब हम पहाड़ियों से 
गुलाबी इस स्पष्टीकरणों से संतुष्ट नहीं था. उसने पीले को लुढ़के, तो हम किसी पेंट या रंग में से होकर गुज़रे होंगे जो वहां पड़ा 
अचानक एक चुनौतीपूर्ण ढंग से देखा. "अच्छा यह समझाओ," होगा. गुलाबी आपके लिए ... 

उसने पूछा, "फिर हमारे रंग इतने अलग-अल्रग क्यों हैं?" 
" पीला मेरे लिए." 

"फिर वो पेन्ट इतना साफ और सुन्दर कैसे बना?" गुलाबी ने कहा. 
"जिसके किनारे एकदम सही स्थानों पर हों? मेरे बटनों के लिए एक 
सीधी रेखा में सफेद पैंट की तीन बूंद हों, और आपके बटनों लिए तीन 
काली बूंदैं? उसके बारे मैं तुम्हारा क्या विचार है, मेरे पीले दोस्त?" 


पीला चुप रहा, वो एक पेड़ के तने के सहारे खड़े होकर अपने 
लकड़ी के सिर को खरोंचने लगा. "देखो, मेरे पास सभी सवालों के 
जवाब नहीं है," उसने आखिर में कहा. "कुछ चीजों को रहस्य बने 
रहने देना ही अच्छा होगा. लेकिन हम लोग इतने अच्छे दिन, 
इन बातों पर आखिर क्यों बहस कर रहे हैं?" 

तभी एक आदमी जिसे अपने बाल कटवाने थे, उसने गुलाबी को उठाया और उसे देखा. फिर उसने पीले 
एक गीत गुनगुनाता हुआ वहां आया. को उठाया और उसे घूरा. "बढ़िया, वे सूख गए हैं," उसने कहा. 


समाप्त 

फिर उसने उन दोनों को अपनी बगल में दबाया और 
वो जहाँ से आया था वहीं वापिस चला गया. 

"वो आदमी कौन है?" गुलाबी ने पीले के कान में 
फुसफुसाया. गुलाबी को उसका कुछ पता नहीं था. 

Comments

Popular posts from this blog

समुद्रातील घरे | Samudratil Ghare In Marathi

  हे पुस्तक दोन मुलांबद्दल आहे. ही मुले समुद्रानजिक राहातात. समुद्राच्या उंच लाटा रोज किनाऱ्यावर येतात आणि मागे परतताना असंख्य शिंपत्रे किनाऱ्यावरील वाळूत सोडून जातात. मुले आश्चर्याने शिंपल्यांचे सौंदर्य डोळ्यांत टिपून घेतात. वेगवेगळ्या आकाराचे शिंपत्रे. वेगवेगळ्या रंगांचे शिंपले. प्रत्येक शिंपला हा कधी काळी कुणा एखाद्या छोट्याशा जीवाचे घर होते. जेव्हा तुम्ही हे पुस्तक वाचाल आणि त्यातील सुंदर सुंदर चित्रे पाहात, तेव्हा तुम्हीसुद्धा त्या मुलांसारखे शिंपल्यांबद्दल विचार करू लागाल. या शिंपल्यांना ज्या नावांनी ओळखले जाते, ती नावे आली कुठून? असे प्रश्न तुम्हाला पडतील. एका शिंपल्याचे नाव आहे, टाईनी स्त्रीपर (छोटी चप्पल)! दुसरा एक शिंपला अगदी वक्राकार जिन्यासारखा दिसतो. त्या दिवशी मुलांनी काही शिंपले गोळा केले. मग ते दररोज शिंपत्रे जमवू लागले आणि त्यांच्या या संग्रहात दिवसेंदिवस वाढ होऊ लागली. पुस्तकाच्या शेवटच्या दोन पानांवर शिंपल्यांची रंगीत चित्रे आणि त्यांची नावे आहेत. शिंपत्रे कसे बनतात? त्यांची वेगवेगळी रुपे कशी बनतात? ही रहस्येदेखील या पुस्तकातून उलगडतात. तुम...

सोफ्रोलॉजी वेस्टर्न मेडिसिन और ईस्टर्न मैडिटेशन तकनीक का एक दिलचस्प मिश्रण हैं.

 The Life Changing Power of Sophrology सोफ्रोलॉजी वेस्टर्न मेडिसिन और ईस्टर्न मैडिटेशन तकनीक का एक दिलचस्प मिश्रण हैं. हम कितनी भी कोशिश कर लें अपनी रोज़मर्रा के जीवन की कठिनाईयों से पीछा नहीं छुड़ा पाते. अपने परिवार और काम के बीच बैलेंस बनाते-बनाते कई बार हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें लगता कि बस अब हमसे और नहीं होगा, या फिर हम किसी शारीरिक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं जिसके कारण हमारी सारी योजनाओं पर पानी फिर जाता है. इन सबके बीच छोटे-छोटे काम जैसे बाज़ार से सामान लाना या फिर किसी अधूरे ईमेल को पूरा करना भी बहुत चुनौतीपूर्ण लगने लगता है. छोटी हों या बड़ी ये सभी चुनौतियाँ हमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन से भर देती हैं. लेकिन चाहे चुनौतियाँ कितनी भी कठिन क्यूँ ना हो उनसे निकलने का रास्ता जरुर होता है. सोफ्रोलॉजी के  आसान एक्सरसाइजों को सीख कर आप बस, अपनी साँसों को महसूस कर, मुश्किल से मुश्किल  घडी में भी खुद को पॉजिटिव रख कर चिंताओं से बच सकते हैं. कई बार डॉक्टर के पास जाने से भी हमारी बीमारी ठीक नहीं होती. आप टेस्ट करवाते है, दवाईयाँ भी लेते हैं फिर भी आप अच्छा म...

दयावान | Dayavan in Marathi

खूप वर्षापूर्वी एका नगरात एक व्यक्‍ती राहत होती, ती इतकी महालाच्या गॅलरीत आणि बागांमध्ये सामान पडलेले होते. श्रीमंत होती की, त्याच्या महालातल्या कितीतरी दालने बहुमुल्य कोणत्याही वस्तूची इच्छा कोणी केली तर त्या वस्तू त्याच्याकडे वस्तूंनी भरलेले होते. भरपूर पडलेल्या होत्या. पण त्याला सगळ्यात अधिक आनंद आपली संपत्ती त्या लोकांमध्ये वाटन मिळे जे लोक त्याच्यापेक्षा कमी भाग्यवान होते. त्याची अविरत उदारता बघन लोक त्याला दयावान म्हणत असत. कपडे आणि खाण्याच्या वस्त घेवन तो रोज दुपारी बागेत येई आणि ज्याना ज्या गोष्टीची गरज आहे ती गोष्ट त्यांना देई. तो कोणतीही विनंती ठोकरून टाक शकत नसे. जर कोणी त्याच्याकडे उत्कष्ट पस्तके किवा गालिचे, त्याच्या रथाचे सगळ्यात चांगले घोडे मागितले तर तेव्हा तो कोणताही विचार न करता मागणाऱ्याला त्या गोष्टी देवून टाकत असे “संपत्ती दुःखाचे केवठे मोठे कारण आहे,”त्याने विचार केला. “श्रीमंत लोक चिंतेत असतात की त्यांचे धन ते गमावन तर बसणार नाही आणि गरीब व्यक्‍ती धनाच्या अभावाने चिंतेत असतात. अधिक संपत्तीची मत्रा काय आवश्यकता आहे? माझ्या धनामळे अभा...