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आइजैक न्म ूटन कौन थे?

 1665 भें, एक बमानक फीभायी इॊग्रैंड भेंपै री. इसेप्रेग कहतेथे. इससेऩयू ेशयीय भेंबायी सज ू न आ जाती थी औय रोगों की त्विा कारी ऩड़ जाती थी. उसका कोई इराज नहीॊ था. इस फीभायी को ऩकड़नेवारेअचधकाॊश रोगों की जल्द ही एक ददणनाक भौत होती थी. कोई बी बीड़बाड़ वारी जगह खतयनाक होती थी क्मोंकक वहाॊ प्रेग ऩकड़ना फहु त आसान था. ककसी को बी उस फीभायी का कायण, मा उससेख ुद को फिानेका तयीका नहीॊऩता था. सयु क्षऺत यहनेका एकभात्र तयीका था ग्राभीण इराकों भेंजाकय यहना क्मोंकक वहाॊआफादी फहु त कभ थी. इस आइजैक न्मटू न नाभ केएक तेईस वषीम छात्र को, कै म्ब्रिज ववश्वववद्मारम छोड़कय अऩनी भाॊकेपाभणऩय यहने जाना ऩड़ा. वैसेउसेवहाॊजानेभेंकोई आऩम्ब्त्त नहीॊथी. वो हभेशा अके रा ही यहता था. उसकेकोई कयीफी दोस्त नहीॊथे. अऩनी भाॉ केघय ऩय, आइजैक नेिहभाॊड केफायेभेंभनन-चि ॊतन भेंअऩना ज़्मादातय सभम ब्रफतामा. एक टदन उसनेएक सेफ को ऩेड़ सेनीिेचगयतेदेखा. ऩथ् ृ वी की ओय सेफ ककसनेखीॊिा? उसनेसोिा. औय एक प्रलसद्ध कक ॊ वदॊती (जो सि बी हो सकती है) केअनसु ाय, मव ु ा आइजैक न्मटू न ने ग ु रुत्वाकषणण केवविाय को सोिा. प्रेग का वो सार अचधकाॊश रोगों...
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सोफ्रोलॉजी वेस्टर्न मेडिसिन और ईस्टर्न मैडिटेशन तकनीक का एक दिलचस्प मिश्रण हैं.

 The Life Changing Power of Sophrology सोफ्रोलॉजी वेस्टर्न मेडिसिन और ईस्टर्न मैडिटेशन तकनीक का एक दिलचस्प मिश्रण हैं. हम कितनी भी कोशिश कर लें अपनी रोज़मर्रा के जीवन की कठिनाईयों से पीछा नहीं छुड़ा पाते. अपने परिवार और काम के बीच बैलेंस बनाते-बनाते कई बार हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें लगता कि बस अब हमसे और नहीं होगा, या फिर हम किसी शारीरिक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं जिसके कारण हमारी सारी योजनाओं पर पानी फिर जाता है. इन सबके बीच छोटे-छोटे काम जैसे बाज़ार से सामान लाना या फिर किसी अधूरे ईमेल को पूरा करना भी बहुत चुनौतीपूर्ण लगने लगता है. छोटी हों या बड़ी ये सभी चुनौतियाँ हमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन से भर देती हैं. लेकिन चाहे चुनौतियाँ कितनी भी कठिन क्यूँ ना हो उनसे निकलने का रास्ता जरुर होता है. सोफ्रोलॉजी के  आसान एक्सरसाइजों को सीख कर आप बस, अपनी साँसों को महसूस कर, मुश्किल से मुश्किल  घडी में भी खुद को पॉजिटिव रख कर चिंताओं से बच सकते हैं. कई बार डॉक्टर के पास जाने से भी हमारी बीमारी ठीक नहीं होती. आप टेस्ट करवाते है, दवाईयाँ भी लेते हैं फिर भी आप अच्छा म...

समुद्रातील घरे | Samudratil Ghare In Marathi

  हे पुस्तक दोन मुलांबद्दल आहे. ही मुले समुद्रानजिक राहातात. समुद्राच्या उंच लाटा रोज किनाऱ्यावर येतात आणि मागे परतताना असंख्य शिंपत्रे किनाऱ्यावरील वाळूत सोडून जातात. मुले आश्चर्याने शिंपल्यांचे सौंदर्य डोळ्यांत टिपून घेतात. वेगवेगळ्या आकाराचे शिंपत्रे. वेगवेगळ्या रंगांचे शिंपले. प्रत्येक शिंपला हा कधी काळी कुणा एखाद्या छोट्याशा जीवाचे घर होते. जेव्हा तुम्ही हे पुस्तक वाचाल आणि त्यातील सुंदर सुंदर चित्रे पाहात, तेव्हा तुम्हीसुद्धा त्या मुलांसारखे शिंपल्यांबद्दल विचार करू लागाल. या शिंपल्यांना ज्या नावांनी ओळखले जाते, ती नावे आली कुठून? असे प्रश्न तुम्हाला पडतील. एका शिंपल्याचे नाव आहे, टाईनी स्त्रीपर (छोटी चप्पल)! दुसरा एक शिंपला अगदी वक्राकार जिन्यासारखा दिसतो. त्या दिवशी मुलांनी काही शिंपले गोळा केले. मग ते दररोज शिंपत्रे जमवू लागले आणि त्यांच्या या संग्रहात दिवसेंदिवस वाढ होऊ लागली. पुस्तकाच्या शेवटच्या दोन पानांवर शिंपल्यांची रंगीत चित्रे आणि त्यांची नावे आहेत. शिंपत्रे कसे बनतात? त्यांची वेगवेगळी रुपे कशी बनतात? ही रहस्येदेखील या पुस्तकातून उलगडतात. तुम...

होशियार पत्नी | Hoshiyar Patni In Hindi

  एक बार एक चतुर व्यापारी अपनी पत्नी के साथ रहता था. उनका इकलौता बेटा बड़ा आलसी और मूर्ख था. व्यापारी और उसकी पत्नी को समझ में नहीं आया कि वे अपने लड़के के साथ क्या करें. उन्होंने उसे परखने का फैसला किया इस उम्मीद में कि शायद वो अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की कोशिश करे. व्यापारी ने लड़के को चार सिक्के दिए और कहा, "जाओ ओर कुछ ऐसा खरीदो जिससे तुम्हारा पेट भरे, तुम्हारी प्यास बुझे, जो तेज़ी से उगे और जिसे गाय भी खा सके." बेवकूफ बेटा बाजार गया तो वो वहां के गर॒गुल से एकदम मंत्रम॒ग्ध हो गया. आखिर में उसने तीन सिक्कों को बेकार की वस्तुओं - मिठाई ओर गुब्बारों पर बबौद किया. फिर उसने टहलने का फैसला किया. बेवकूफ बेटा चुप रहकर सोचने की बजाए अपने विचारों को ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगा. इसलिए कुछ देर के बाद कई लोगों को उसके "परीक्षण" के बारे में पता चल गया. फिर भी, बेवकूफ बेटे को तब बड़ा आश्चर्य हुआ जब अचानक एक लड़की उसके पास आई और उसने कहा, "यदि तुम्हें उन पैसों से खुद को खिलाना है, प्यास बुझानी है, जल्दी से कुछ उगाना है, और गाय को भी खिलाना है, तो तुम्हें एक तर...

पीला और गुलाबी | Pila Or Gulabi In Hindi

एक दिन एक पुराने अखबार पर लकड़ी से बनी दो छोटे-छोटे आदमियों की आकृतियाँ धूप में पड़ी थीं. उनमें से एक आदमी छोटा, मोटा और गुलाबी था जबकि दूसरा सीधा, पतल्रा और पीला था. मौसम गर्म और शांत था, और वे दोनों कुछ सोच रहे थे. थोड़ी देर के बाद, पीला उठकर बैठा और उसने गुलाबी रंग वाले "क्या आप जानते हैं कि हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" पीले ने पूछा. पर अपनी आंखें केंद्रित कीं. "क्या मैं आपको जानता हूं?" उसने पूछा. "नहीं," गुलाबी ने कहा. "मुझे यह भी याद नहीं कि मैं यहाँ कब "मुझे ऐसा नहीं लगता," गुलाबी ने जवाब दिया. और कैसे आया." "मुझे भी नहीं," पीले ने चारों ओर देखते हुए कहा. "मुझे समझ में नहीं आ रहा है," उसने कहा, वहाँ कुछ दूरी पर मुर्गियां दाना चुगने में व्यस्त थीं और "कि हम दोनों यहां कैसे ' पहुंचे. मुझे यह सब नया पास के खेत में कुछ गायें घास चर रही थीं. और अजीब सा लग रहा है. हम कौन हैं?" गुलाबी ने पीले को देखा. उसे पीले का रंग, उसका सुन्दर सिर, उसका पूरा रंग-रूप, बहुत अच्छा लगा. उसने कहा, "हमें ज...

दोपहर का भूत | Dopahar Ka Bhoot In Hindi

जोश ने अपने चचेरे भाइयों के पीछे-पीछे धूल भरी सड़क पर स्कूल की ओर दौड़ना शुरू किया. वो पहली बार इंग्लैंड से उनसे मिलने आया था. लेकिन जोश को यहाँ पर देखने और करने के लिए बहुत कुछ था. वो चेन्नई के पास मछली पकड़ने वाले गाँव में जाकर बहुत कुछ खोजना चाहता था. वो वहां जाने के लिए बेचैन था. "वाह!" जोश चिल्‍लाया. उसने सूरज की तरफ देखा. आसमान में एक भी बादल नहीं था और तेज़ धूप थी. तपती धूप के कारण घास पर रुपहली लहरें झिलमिला रही थीं. "बाबा, टोपी पहनकर भी इस चिलचिलाती धूप में तुम बाहर नहीं जाना,” वहां के इंचार्ज कृप्पू ने आते ही जोश को समझाया. "यहाँ की गर्मी कुछ विचित्र है. वो तुम्हारे साथ कुछ मजेदार खेल, खेल सकती है जोश ने घर के दाईं ओर झाऊ के पेड़ों की ओर देखा. उसने कहा, "ठीक है में कहूगा कि में स्थानीय वन्यजीवों को देखने जा रहा हूं, तो फिर मुझे गर्मी से खतरा नहीं होगा." वो नहीं चाहता था कि कृप्पू उसकी कोइ चिंता करे, इसलिए उसने उसके लिए एक नोट छोड़ दिया. जब जोश पेड़ों के एक झुरमुटे के पास पहुंचा तो वहां उसे पर समुद्र की ठंडी हवा महसूस ...

दयावान | Dayavan in Marathi

खूप वर्षापूर्वी एका नगरात एक व्यक्‍ती राहत होती, ती इतकी महालाच्या गॅलरीत आणि बागांमध्ये सामान पडलेले होते. श्रीमंत होती की, त्याच्या महालातल्या कितीतरी दालने बहुमुल्य कोणत्याही वस्तूची इच्छा कोणी केली तर त्या वस्तू त्याच्याकडे वस्तूंनी भरलेले होते. भरपूर पडलेल्या होत्या. पण त्याला सगळ्यात अधिक आनंद आपली संपत्ती त्या लोकांमध्ये वाटन मिळे जे लोक त्याच्यापेक्षा कमी भाग्यवान होते. त्याची अविरत उदारता बघन लोक त्याला दयावान म्हणत असत. कपडे आणि खाण्याच्या वस्त घेवन तो रोज दुपारी बागेत येई आणि ज्याना ज्या गोष्टीची गरज आहे ती गोष्ट त्यांना देई. तो कोणतीही विनंती ठोकरून टाक शकत नसे. जर कोणी त्याच्याकडे उत्कष्ट पस्तके किवा गालिचे, त्याच्या रथाचे सगळ्यात चांगले घोडे मागितले तर तेव्हा तो कोणताही विचार न करता मागणाऱ्याला त्या गोष्टी देवून टाकत असे “संपत्ती दुःखाचे केवठे मोठे कारण आहे,”त्याने विचार केला. “श्रीमंत लोक चिंतेत असतात की त्यांचे धन ते गमावन तर बसणार नाही आणि गरीब व्यक्‍ती धनाच्या अभावाने चिंतेत असतात. अधिक संपत्तीची मत्रा काय आवश्यकता आहे? माझ्या धनामळे अभा...